राजा तो दोनों ही थे। दोनों जनता से चुनकर भी आए थे। पहले ने अपने मित्रों के साथ गठबंधन कर सरकार बनायी। 'मित्रों' की गुणवत्ता इतनी बढ़िया थी कि उसे दुश्मनों की कोई ज़रूरत ही नहीं पड़ी।
और दूसरा! अपने दमख़म पर। उसके चारों ओर केवल दुश्मन ही दुश्मन। किंतु, दुश्मनों की 'गुणवत्ता' इतनी उत्कृष्ट कि अब उसे किसी मित्र की कोई आवश्यकता नहीं! एकला चलो !