Monday 29 August 2022

बेजुबान

 न राजा अनजान था।

न मुद्दालह परेशान था।

न मुद्दई हलकान था।

न मुख्तार नादान था।

न मुंसिफ बेईमान था।

बस मीनार बेजुबान था।


Tuesday 9 August 2022

राजतिलक की करो तैयारी

 श्वानों ने आज संगत की है,

राजतिलक अब कर दो मेरा।

बहुत ढुलके बिन पेंदी लोटे,

हम न चूकेंगे अबकी बेरा।


करिआ कुकुर बीच खड़ा था,

स्व वर्णी सब घेरे थे।

लटकी थीं जीभ चितकबरों की,

कलमुंहे मुंह  फेरे थे।


कुछ मगध, कुछ अंग देश,

कुछ मिथिला से आए थे।

लोकतंत्र धुन वैशाली की,

अपनी भौंक में लाए थे।


कहीं न कोई कुकर बचा था,

जो हो कुत्ता इकलौता।

कूटनीति की द्युत क्रीड़ा में,

सरमा पाणी समझौता।


फूटी लालटेन से लाली,

और छूटा पिनाक से सायक।

इंदिवर पंकिल लथपथ थे,

पुलकित थे सारे शुनक।


लाज सरम के बंधन टूटे,

जो अछूत थे, छूत बने।

धर्मी अधर्मी एक देख अब,

सारमेय थे अड़े तने।


हमीं है वे चौपाये जो,

पांडव सुरलोक लाए थे।

एकलव्य संधान शौर्य गुर,

द्रोण को दिखलाए थे।


दोगलापन दोपायों का अब,

नहीं रहेगी लाचारी।

वृकारी हुंकार भरे हैं,

राजतिलक की करो तैयारी।

#राजतिलककीकरोतैयारी