आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (30-8-22} को "वीरानियों में सिमटी धरती"(चर्चा अंक 4537) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी। ------------ कामिनी सिन्हा
बहुत बढ़िया आदरनीय कविवर 👌👌👌👌 ---- निर्दोष भवन पर उतरी राजा की कुंठा , बज गया आज उसके न्याय का डंका गफलत में चूर भ्रष्टाचारी की राख हो गई पल में सोने की लंका! सादर 🙏🙏
जो बेज़ुबान होता है , शामत तो उसी की आती है । वैसे भ्रष्टाचारियों को या कानून की धज्जियाँ उड़ाने वालों को ऐसी सज़ा मिलनी भी चाहिए । शायद आगे इससे कोई सबक सीखें ।।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 30 अगस्त 2022 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जी, अत्यंत आभार।
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 30 अगस्त 2022 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जी, अत्यंत आभार!!!
Deleteसादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (30-8-22} को "वीरानियों में सिमटी धरती"(चर्चा अंक 4537) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
जी, अत्यंत आभार!
Deleteबहुत बढ़िया आदरनीय कविवर 👌👌👌👌
ReplyDelete----
निर्दोष भवन पर उतरी राजा की कुंठा ,
बज गया आज उसके न्याय का डंका
गफलत में चूर भ्रष्टाचारी की
राख हो गई पल में सोने की लंका!
सादर 🙏🙏
जी, अत्यंत आभार।
Deleteलम्बी जुबान का जो क्या वो मकान था ? :)
ReplyDelete😄🙏जी, अत्यंत आभार!
Deleteहिटलर का युग है
ReplyDeleteबिल्कुल सही। जी, अत्यंत आभार।
Deleteबहुत सटीक अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
Deleteबस मीनार बेजुबान था।
ReplyDeleteबेजुबान ही ढ़हता है आजकल।
बहुत सटीक... लाजवाब।
जी, अत्यंत आभार।
Deleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteजी. आभार!!!
Deleteबहुत बढ़िया और सामयिक।
ReplyDeleteजी, आभार!!!
Deleteसुंदर सच
ReplyDeleteजी, आभार।
Deleteजो बेज़ुबान होता है , शामत तो उसी की आती है । वैसे भ्रष्टाचारियों को या कानून की धज्जियाँ उड़ाने वालों को ऐसी सज़ा मिलनी भी चाहिए । शायद आगे इससे कोई सबक सीखें ।।
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार!!!!
Deleteअच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
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