Monday 12 June 2023

बेटी बचाओ, बेटी बढ़ाओ!

 हर भी हारे, हरि भी हारे,

 भारत माता को कौन तारे!

हे शिव, अब तू खोल जटा रे,

चंदा मामा आ रे आ रे!


क्रूर कपट के कोलाहल में,

हर की पौड़ी मौन पड़ी है।

लाज शरम से भागीरथी भी,

गहवर के पाताल गड़ी है।


सत्ता के इस न्याय महल में,

खर्राटें हैं खरदूषण के।

उसको ढांपे और दबोचे,

मल्ल कला ये बज्र भूषण के।


ई डी देखो भई फिसड्डी,

वृज रास  इस रंगमहल में।

सी बी आई अब  भरमाई

कानून  के कोलाहल में।


ठूंठ बाड़ इस तंतर में अब,

जंतर मंतर पर ये गाओ।

सीखो पहले धोबिया पाठ,फिर!

बेटी बचाओ, बेटी बढ़ाओ।