यकीन करें
आते ही 'तेजी'
जुट जाऊंगा
फिर से
समाज को
सिंचित करने
पूंजी से।
आते ही 'तेजी'
जुट जाऊंगा
फिर से
समाज को
सिंचित करने
पूंजी से।
*******
अभी तो
वक़्त है
बहाने का
अविरल धारा
बुद्धि की।
*********
वक़्त है
बहाने का
अविरल धारा
बुद्धि की।
*********
छा गयी है
जो ये 'मंदी'
बन गया हूँ मैं।
***********
जो ये 'मंदी'
बन गया हूँ मैं।
***********
फिर, 'समाजवादी'!
***************
***************
बहुत खूब !!!! तेजी में पूंजीपति और मंदी में कुर्सीपति ! वाह रे ! अवसरवादी या कहूं समाजवादी !! सार्थक व्यंग आपकी चिरपरिचित शैली में | सादर आभार |
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार आपका!
Deleteवाह क्या खूब व्यंग कसा आपने
ReplyDeleteसादर नमन
जी, अत्यंत आभार आपका!
Deleteछा गई है जो ये मंदी बन गया हूँ मैं.......!चुटीला व्यंग्य !
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार आपका।
Deleteबहुत अच्छा लिखा है आपने।
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आएँगे तो खुशी होगी।
iwillrocknow.com
जी, अत्यंत आभार। पक्का आयेंगे। अभी हो के आ भी गए। बहुत अच्छा लिखते हैं आप।
Deleteवाह बहुत अच्छा व्यंग
ReplyDeleteअत्यंत आभार आपका।
Delete