Saturday 31 August 2019

मंदी

यकीन करें
आते ही 'तेजी'
जुट जाऊंगा
फिर से
समाज को
सिंचित करने
पूंजी से।
*******

अभी तो
वक़्त है
बहाने का
अविरल धारा
बुद्धि की।
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छा गयी है
जो ये 'मंदी'
बन गया हूँ मैं।
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फिर, 'समाजवादी'!
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10 comments:

  1. बहुत खूब !!!! तेजी में पूंजीपति और मंदी में कुर्सीपति ! वाह रे ! अवसरवादी या कहूं समाजवादी !! सार्थक व्यंग आपकी चिरपरिचित शैली में | सादर आभार |

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  2. वाह क्या खूब व्यंग कसा आपने
    सादर नमन

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  3. छा गई है जो ये मंदी बन गया हूँ मैं.......!चुटीला व्यंग्य !

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    1. जी, अत्यंत आभार आपका।

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  4. बहुत अच्छा लिखा है आपने।
    मेरे ब्लॉग पर आएँगे तो खुशी होगी।
    iwillrocknow.com

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    1. जी, अत्यंत आभार। पक्का आयेंगे। अभी हो के आ भी गए। बहुत अच्छा लिखते हैं आप।

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  5. वाह बहुत अच्छा व्यंग

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