सुना है
कई दिनों से
कस के बांधी गयी
लाल फीते में
एक फ़ाइल
खुल गयी है।
दिन पर दिन
जमायी जा रही
वक़्त की सर्द गर्द पर
रेंगने लगे थे
शफ्फाक श्वेत दीमक
वैचारिक तंद्रा के।
कि खोल दिया
किसी ने
पिछली सदी से
बंद तहखाने में
पीढ़ियों के,
'पेंडोराज बॉक्स'!
पल्लवी फूटी है
विवेक-विटप-से
अनुपम पिटारे से
भानुमति के इस्स!
ईशोपनिषद के
अमिय वाक्य!
"हिरण्मयेन पात्रेण
सत्यस्य मुखम्
अपिहितम् अस्ति।
पूषन् तत्
सत्यधर्माय दृष्टये
त्वम् अपावृणु ॥"
फाइल के खुलते ही
उसमें बंद
उजली-सी बर्फ
पिघलने लगी है।
बहने लगी है बनकर
गरम खून की धार।
कश्यप का कपार
लूट, बलवा, बलात्कार।
फ़ाइल में
करीने से सजे
पृष्टों से गूंज रहा
खामोशी का प्रचंड नाद।
नोट पेज भरे हुए हैं
तहरीर से
दोगले नुमाइंदों के।
वाराह ने मूल उठाया
सतीसर बह गया।
हो गया 'का' 'शिमिर'।
जान गई है अब ये
रिपब्लिक जनता कुछ!
और बौरा गए हैं
सौदागर मौत के
खुल जाने से
अपनी फ़ाइल के।
रचना से आक्रोश बह रहा है..
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
Deleteलिहाजा वक्त के आगोश में कबतक छूपी रहती
ReplyDeleteखामोशी के प्रचंड नाद को अब हम भी सुनेंगे..
सत्य सार्थक रचना.. ये भी लिखना जरूरी है।
बधाई
जी, अत्यंत आभार।
Deleteसार्थक रचना
ReplyDeleteजब्र भी देखा है तारीख की नजरों ने,
ReplyDeleteलम्हों ने खता की थी सदियों ने सजा पाई।
मानव पीडा की असह्य गाथा को दर्शाता ,उर्दू के माननीय शायर' मुज़फ़्फ़र रज्मी साहब 'का ये शेर हर दौर में प्रासंगिक है ।कश्मीर के निर्माण के समय अदूरदर्शी सत्ताधारियों ने जो गलतियाँ की,उस पर ना जाने कितने वो लोग जान निछावर कर गये जिन्हेँ जीना था, पर वो असमय मौत के मुँह में समा गए ।उससे भी बढकर अमानवीयता की हदें कश्मीरी पण्डितों पर हुये अत्याचार और मातृभूमि से उनका निष्काषन! उस पर भी दुखद ये कि हर अपराध पर्दे में रह गया।और जो सामने था अवसरवादी राजनीति के मौन में ढका गया।एक फिल्म के रूप में यदि कश्मीर की ढकी-लिपटी सच्चाइयाँ सामने आती हैं तो मानवता के छ्दम अपराधी कहाँ भला चैन से बैठेंगे, उनकी नींद उड़नी तय है,रजत पट पर अपने कुकृत्यों को हुबहू देखने के बाद।साधुवाद और आभार उन फिल्मी दुनिया के विरल और मेधावी दुस्साहसी लोगों का जिन्होने घोर संवेदनशील विषय पर फिल्म बना इतिहास की बंद फ़ाईल को को सरेआम खोलने का बड़ा जोखिम उठाया।जीवटता के धनी इन कर्मवीरों के सृजन और उसके विस्फोटक तात्कालिक परिणामों पर इस अनोखी समीक्षा रचना के लिए आपको साधुवाद 🙏🙏
जी, अत्यंत आभार आपके इस गहन अवलोकन और आपकी प्रखर समीक्षा का।
Deleteजी, अत्यंत आभार।
ReplyDeleteखुल गई
ReplyDeleteफाइलें
बाकी भी
खुलेंगी आहिस्ता
आहिस्ता..
सादर नमन
जी, अत्यंत आभार।
Deleteफाइल के खुलते ही
ReplyDeleteउसमें बंद
उजली-सी बर्फ
पिघलने लगी है।
बहने लगी है बनकर
गरम खून की धार।
सत्य का मर्मस्पर्शी चित्रण ।
जी, अत्यंत आभार।
Deleteवाह आक्रोश व्यक्त करती अति सुन्दर रचना।
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
Deleteकभी तो सत्य सामने आना ही था । सतय का हृदयस्पर्शी चित्रण ..विश्वमोहन जी ।
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
Deleteफ़ाइल का खुलना और देश में एक नया दौर आना, कितनी सुंदरता से आपने इस बदलते हुए वक्त को बयान किया है, साधुवाद!
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
Deleteएक फाइल ने तहलका मचा रखा है ।।काश हर वो फाइल खुले जो दबा दी गयी है ।।
ReplyDeleteफाइल खुलने से क्या क्या हो रहा है उसे सार्थक शब्दों में बयाँ किया है ।
जी, अत्यंत आभार।
Deleteजान गई है अब ये
ReplyDeleteरिपब्लिक जनता कुछ!
और बौरा गए हैं
सौदागर मौत के
खुल जाने से
अपनी फ़ाइल के।
अभी तो कितनी फाइलें खुलेगी और कितने सत्य बाहर आयेगें और पापियों का नाश होगा।
आक्रोश व्यक्त करती अति सुन्दर रचना।सादर नमन आपको
जी, अत्यंत आभार।
Deleteगर्द में लिपटी फ़ाइलें जब जब खुलेंगी इतिहास का ऐसा ही कच्चा चिट्ठा खुलेगा । और आपकी लेखनी से ऐसी ही आक्रोश भरी उत्कृष्ट रचनाएँ निकलेंगी, कुछ लोग इस पर भी प्रश्न चिन्ह लगाएँगे ।
ReplyDeleteइन फ़ाइलों को खोलने का दुस्साहस करने वालों का हार्दिक आभार ।
सराहनीय रचना के लिए आपको बहुत बधाई, नमन और वंदन ।
जी, अत्यंत आभार।
Deleteफ़ाइल खुली, रोशनी मिली
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति
जी, अत्यंत आभार।
Deleteबहुत सुन्दर !
ReplyDeleteफ़ाइल खुली तो पिछली सरकारों की कायरता, नपुंसकता और अवसरवादिता का भी खुलासा हुआ. लेकिन प्रश्न यह उठता है कि आज की सरकार इस फ़ाइल में वर्णित अत्याचारों का निराकरण करने में कछुए की गति से भी धीमा क्यों चल रही है.
क्या फ़ाइल सिर्फ़ 200 करोड़ का मुनाफ़ा कमाने के लिए ही खोली गयी है?
अब कछुए पर फ़ाइल का भी भार होगा😀🙏। जी, अत्यंत आभार।
Deleteसार्थक शब्दों में बयाँ किया है ।
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
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