सूबे में नए बड़ा बाबू आए हैं। किसी भी गड़बड़ी के प्रति ‘शून्य सहिष्णु’ हैं। क़ानून का राज बहाल करने की ठान ली है। साक्षात मूल वाराह अवतार हैं, बड़ा बाबू! प्रचंड, प्रकृष्ट और प्रगल्भ तो इतने कि महादेव भी पानी भरें!
आज तो भोले नाथ भी सहम गए। उनके दरबार में जो बड़ा बाबू के पुष्पक से पहले नहीं पहुँचेगा उसे वह कंस-शैली में काल-कोठरी में डाल देंगे। भाग्य नियंता, एकदम हिरण्यकश्यिपु स्टाइल! ‘ले लो, इस अभियंता को हिरासत में!’ शक्ति रूपा ने शून्य लापरवाही से ’जी हुकुम’ की हुकुम बजायी। राम राज आया। जनता ने जय जयकार की।
सूबे में मारकाट मची है। लोग घर बार छोड़कर भाग रहे हैं। क्या मालूम, नरसंहार की दूसरी फ़ाइल भी खुल जाए! आकाशवाणी होने वाली है, ‘बड़ा बाबू को हिरासत में ले लिया जाय’।
जनता जयकार लगा रही है, ‘बड़ा बाबू जेल जाएँगे’।
मतलब इतिहास बनाएंगे गज्जब
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
Deleteराम-राज में बड़े बाबू को जेल भेजने की क्या ज़रुरत है? उन पर बुलडोज़र चलवा दो. .
ReplyDeleteलोकतंत्र में यह काम जनता जनार्दन का है। पांच साल में एक बार जनता भी बुलडोजर पर सवार होती है😄🙏
Delete'पांच साल में एक बार जनता भी बुलडोजर पर सवार होती है.'इस लाजवाब कथन पर तुम्हें शाबाशी तो मिलनी ही चाहिए.
Delete😄🙏🙏🙏
Deleteलघु कथा या लघुकथा ?
ReplyDeleteजी, सुधार दिए। आभार, अनाम मार्गदर्शक को😄🙏
Deleteविषमताओं पर करारा तंज । सुन्दर लघुकथा ।
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार!!!!
Deleteसादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (7-6-22) को "पेड़-पौधे लगाएं प्रकृति को प्रदूषण से बचाएं"(चर्चा अंक- 4454) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
जी, अत्यंत आभार।
Deleteनौकरशाही के विद्रूप हो चुके चेहरे को इंगित करती लघुकथा।जब लोकतंत्र का ये अंग निरंकुश हो जाता है तो एक फ़ाईल क्या अनेक फाइलों का बंद होना तय है।पर दिनों का फेर किस पर भारी पड़ जाये कह नहीं सकते कि कौन सी बंद फ़ाईल खुल जाये और बड़े बाबू जेल पहुँच जाएँ।सार्थक लघुकथा के लिए बधाई और शुभकामनाएं।🙏🙏
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
Deleteबहुत सुन्दर प्रेरक कथा
ReplyDeleteपास कब पलट जाता है कुछ समझ नहीं आता, राजनीति इसी का नाम है
ReplyDeleteइसी का नाम प्रजातंत्र है कभी प्रजा हावी तो कभी तंत्र
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
Deleteबहुत बढ़िया।
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार!!!
Deleteबड़ा बाबू जेल जाएंगे!
ReplyDeleteवहाँ जा के भी हलवा पूड़ी खाएंगे !!☺️
सुंदर लघुकथा !👌👌
जी, अत्यंत आभार।
Deleteआज का यथार्थ ।
ReplyDeleteकहने को लोक तंत्र पर अराजकता के सभी लक्षण दमदार हैं।
शानदार लघु कथा।
भाषा क्लिष्ट है, लघु कथा में भाषा सर्व समझ जैसी हो तो सोने पर सुहागा।
जी, अत्यंत आभार। आपकी बातों से पूर्ण सहमत। किंतु यहाँ घमंडी 'बड़े बाबू' के दर्प-दीप्त व्यक्तित्व को चित्रित करने के लिए शिव के व्यक्तित्व से विशेषणों को लेना उचित जान पड़ा। लघुकथा की पृष्टभूमि में घटित घटना का परिवेश भी कुछ ऐसा ही था। आजकल प्रचलित शब्द , ज़ीरो टोलेरेंस, के बदले शून्य सहिष्णुता शब्द को ले लिया गया है।
Deleteप्रचंडं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं.....
ReplyDeleteवाह ! महादेव के व्यक्तित्व के विशेषणों का बड़ा मारक प्रयोग किया है। रही सही कसर 'शून्य सहिष्णुता' ने पूरी कर दी। इतने अलंकरण के बाद बड़ा बाबू को जेल भेजने की कल्पना ???
बहुत नाइंसाफी है !!!
जी, अत्यंत आभार!!!
Deleteसमझ नही आया लेकिन पढ के अच्छा लगा।
ReplyDeleteयह अमरनाथ में एक मनबढू और उद्दंड आई ए एस अधिकारी के द्वारा एक इंजिनियर को गिरफ्तार कर लिए जाने की घटना पर आधारित है। यह देश में काफी चर्चा का विषय बना था। आप अपना नाम भी लिखते तो अच्छा रहता। जी, अत्यंत आभार।
Deletebahut badhiya
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
Deleteअच्छा तो आप लिखते ही हैं पर शिव स्तुति का यह प्रयोग अच्छा नहीं लगा।
Deleteजी, घटना अमरनाथ की है, जिस पर यह लघुकथा आधारित है। बहुत आभार।
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