Wednesday, 8 June 2022

.....बेटी पढ़ाओ...बेटी बहाओ! (लघुकथा)

मंच से माइक में आवाज़ गूँजी – ‘ बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ।‘ क्या वाम! क्या दाम! क्या सियासती दल! क्या अवाम! सबने बाँग लगायी। ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा।‘ 
दौड़ी बेटियाँ।... गिरती।...... चढ़ती।..... उठती।... पड़ती।... ..बचते।... बचाते।..... छुपते।.......... छुपाते।...... सपने सजाते। ख़ूब पढ़ी। ख़ूब बढ़ी। रसोई से साफ़गोई तक।... बिंदी से हिंदी तक।... अंतरिक्ष से साहित्य की सरहद तक।.... गुरुदेव की गीतांजली से गीतांजलि बोकरती रेत-समाधि तक। दुनिया के टीले को अपनी ओढ़नी से तोप दिया। आला इनाम, उनके नाम! सबने दुलारा। सबने सराहा।
किंतु, मंच मौन! और ये सियासती भूत!   न कोई खदबद। न कोई हुदहुद। न कोई खिलखिल। और न कोई मुबारकबाद! हाँ थोड़ी काग़ाफूसी ज़रूर!   सिर्फ़ ‘वाद’! 
बह गयी बेटी – ‘विचार-धारा’ में!

38 comments:

  1. भारत की हर एक बेटी की अरदास - 'बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ, बेटी को सम्मानित करो, बेटी के गीत गाओ-लिखो ! बाक़ी तो सब ठीक भगवान ! लेकिन अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो.'

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  2. बेटियों के जीवन की विसंगतियाँ बेटियाँ ही जाने। सिर्फ "वाद" में बह गई बेटियाँ!! यही सच है!शिक्षा और उपलब्धियोँ के उँचे आँकड़ों के साथ भी उनके आत्म निर्णय के अधिकार पर दूसरे ही निर्णय ले रहे हैं। शिक्षा और कर्तव्य के संस्कार सब होने चाहियेँ उनमें पर अपने अधिकारों के लिए आज भी बड़ा तबका संघर्षरत है।एक अत्यंत सार्थक और मार्मिक लघुकथा जो अपने प्रतीकात्मक शीर्षक 'बेटी पढ़ाओ,बेटी बहाओ 'से न्याय करती है।🙏🙏

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  3. बेटियों की पड़ी किसको है सब को अपना सिट्टा सेंकना है ,बेटी विमर्श के नाम पर।
    यथार्थ पर कराया प्रहार।👌

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  4. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 9 जून 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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  5. बेटियाँ पढ़ रही हैं .... बढ़ रही हैं ...... लेकिन सब हासिल करने के बाद भी उनके सपने टूट रहे हैं ..... दहशत में जीती हैं ..... अब नारे बेटियों के लिए नहीं बेटों के लिए होने चाहिए .....
    सोच बदलो , समाज बदलो ।
    विचारणीय लघु कथा ।

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  6. प्रभावशाली लेखन

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  7. Unfortunately sloganeering and tokenism is the mainstay today.
    Great satirical piece. The language employed by you, also makes it a tribute to the author of "ret samadhi".

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  8. 'वाद' का विवाद तो हर प्रकरण के साथ जुड़ जाता है यह तो आज के दौर का सबसे पसंदीदा फैशन है चाहे बेटियाँ हों या कुछ और। लोग बस नारों में ही बदलाव ,सुधार जैसी बातें करते हैं जबकि कुछ और ही है। किसी भी वाद के अनर्गल प्रलाप से उड़ान भरती बेटियों को नभ छूने से नहीं रोका जा सकता है।
    कम शब्दों में बहुत कुछ कहती सराहनीय लघुकथा।

    प्रणाम
    सादर।

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  9. वाद के विवादों में फँसी स्त्री जाति की विडंबना।
    लघुकथा अत्यंत कम शब्दों में व्यंग्य के साथ पूर्ण न्याय करती है, 'बेटी बहाओ' शब्दों का प्रयोग क्या टीस दे रहा है यह तो वे बेटियाँ ही समझ सकेंगी जो इस पीड़ा से गुजरी हैं।

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  10. चिंतनपूर्ण विषय बनकर रह गई है बेटी । आज भी कितनी बेचारी है, ये तो वही जाने, जिसके ऊपर गुजराती है । हर क्षेत्र में अपने अधिकारों के लिए संघर्ष है बेटी के लिए ।
    बहुत सराहनीय लघुकथा ।

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  11. सुंदर सराहनीय सृजन

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  12. सुंदर रचना

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  13. डॉ विभा नायक15 June 2022 at 08:22

    👍

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  14. गुरुदेव की गीतांजली से गीतांजलि बोकरती रेत-समाधि तक।
    अब क्या करे बेटी...दुनिया भर में नाम पर यहाँ सिर्फ वाद विवाद...
    सही कहा पढ़ाओ नहींबेटी बहाओ
    अत्यंत सारगर्भित लघुकथा।

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  15. अच्छी जानकारी !! आपकी अगली पोस्ट का इंतजार नहीं कर सकता!
    greetings from malaysia
    let's be friend

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  16. muhammad solehuddin20 December 2022 at 17:36

    अच्छी जानकारी !! आपकी अगली पोस्ट का इंतजार नहीं कर सकता!
    greetings from malaysia
    द्वारा टिप्पणी: muhammad solehuddin
    let's be friend

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