Tuesday 4 January 2022

बेवक़ूफ़ कौन! (लघुकथा)

नया नियम-क़ानून आ गया। कोरोना का दोनों टीका नहीं लगाये तो, सरकारी कार्यालयों और परिसरों में चल रहे निर्माण स्थलों पर जाने की अनुमति नहीं!  कुछ ही दिनों पहले की तो बात है। पहिला टीका लगवा के लौटे थे उसकी झुग्गी के संगी साथी।कोई उड़ीसा से, कोई बंगाल से, कोई कन्नौज से, कोई छत्तीसगढ़ से .......! अब तो दूसरे  टीके के भरोसे बैठने के अलावा कोई चारा भी नहीं रहा । 

भला हो उसके राज्य के बाबुओं का!  पहले टीके के बाद ही  दोनों टीकों का प्रमाण पत्र उसके नाम निर्गत कर दिया था। सुशासन का  आँकड़ा जो ठीक करना था! 

अब बेवक़ूफ़ वह किसे कहे? अपने पेट पर आज लात पड़ने से बचाने वाली उस बाबूशाही को!  या, फिर मज़दूरों का होलसेल सप्लाई करने वाले उसके राज्य को पिछड़ा कहने वाले बुद्धिवीरों को! बेवक़ूफ़ कौन! उसने  गमछे  से अपने माथे का पसीना पोंछा  और अपने काम में लग गया।

तेज परताप  के चेहरे पर मुस्कान थी।

16 comments:

  1. तेज प्रताप के माध्यम से सटीक मार्मिक कथा। श्रमिक वर्ग की हर तरह से हार है। चाहे बाबूशाही हो या सरकारी आंकड़ों को संवारने वाले लोग, ऐसे ही दयनीय और आजीविका के चक्र में फंसे लोगों की मासूमियत का फायदा उठाते हैं और दूसरों को बेवकूफ समझते हुए वह समझ नहीं पाता कि उसे समस्त तंत्र द्वारा कितनी सफ़ाई से बेवकूफ़ बनाया गया है । बधाई और शुभकामनाएं इस मर्मस्पर्शी लघुकथा के लिए 🙏🙏

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  2. जय हो। भला हो भलों का :)

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  3. भला हो उसके राज्य के बाबुओं का! पहले टीके के बाद ही दोनों टीकों का प्रमाण पत्र उसके नाम निर्गत कर दिया था। सुशासन का आँकड़ा जो ठीक करना था!
    और इसी तरह करोड़ों के टीकाकरण की बधाइयाँ
    बटोरी जा रही है...।
    बुद्धिवीर हो या श्रमवीर ...अपने अपने लिए रस्ते नाप रहे हैं...
    लाजवाब लघुकथा।

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  4. सटीक दर्पण आज की व्यवस्था का।
    मर्मस्पर्शी लघुकथा।

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  5. बेवकूफ हम...आम जनता !!☺️
    तीक्ष्ण कटाक्ष।लघुकथा क्षेत्र में पदार्पण के लिए बधाई !

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  6. सटीक लघुकथा

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  7. व्यवस्था पर प्रहार करती सटीक, सराहनीय लघुकथा ।

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