न पानी में शोर है
न हवाओ में जोर है।
बजबजा रही है नाली
'भारी-भरकम'कीटाणुओं से।
उतरे हैं हवाओं में बनकर
ये 'भारी-भरकम'जहर।
दुबके बैठे है दफ्तरों में
कुर्सियों पर ये 'भारी-भरकम'।
सियासत से रियासत तक,
नौकरशाही की विरासत तक।
लहू में घुलते जा रहे हैं ये
ढाई मिलीमीटर के 'पीएम'।
अदालत में मुकदमा दायर,
घर में 'एयर-प्यूरीफायर'।
नाको दम कर रखा है,
कहाँ जाएँ?क्या साँस लें?
हराम कर रखा है जीना,
इन 'शाहजादों' ने।
पीएम - पार्टिकल मैटर
एयर प्यूरीफायर - हवा साफ करने की मशीन।
न हवाओ में जोर है।
बजबजा रही है नाली
'भारी-भरकम'कीटाणुओं से।
उतरे हैं हवाओं में बनकर
ये 'भारी-भरकम'जहर।
दुबके बैठे है दफ्तरों में
कुर्सियों पर ये 'भारी-भरकम'।
सियासत से रियासत तक,
नौकरशाही की विरासत तक।
लहू में घुलते जा रहे हैं ये
ढाई मिलीमीटर के 'पीएम'।
अदालत में मुकदमा दायर,
घर में 'एयर-प्यूरीफायर'।
नाको दम कर रखा है,
कहाँ जाएँ?क्या साँस लें?
हराम कर रखा है जीना,
इन 'शाहजादों' ने।
पीएम - पार्टिकल मैटर
एयर प्यूरीफायर - हवा साफ करने की मशीन।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 16 नवम्बर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार और आपके अतिशीघ्र स्वास्थ्य लाभ की शुभ कामना।
Deleteशाह - जादे क्या बात है ज्यादे हो गये :)
ReplyDelete😀😀जी, अत्यंत आभार।
Deleteबहुत खूब! समसायिक सार्थक सृजन आदरणीय विश्वमोहन जी। एक ढाई मिलीमीटर का पीएम भी कवि के शब्दप्रहार से बच ना सका। लेकिन रचना में पिरोया गया कड़वा सच आम आदमी से लेकर प्रशासन और अदालत सबको खून के आँसू रुलाने में सक्षम है । सादर🙏🙏
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार आपके आशीष का।
Deleteवाह! वाकई लाजवाब रचना है। तात्कालिक परिस्थितियों से हमे सामना करा रही है ये रचना। सच्च में स्थिति अभी बदतर है।
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
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