Sunday 26 January 2020

कदमताल

भले कुछ सिरफिरे बहेलिए
बहलाने के खातिर मन को।
फुसलाकर फंसा ले कुछ
चिड़ियों और जंगली जंतुओं को।
 करने को अपनी
 हैवानियत मालामाल
और फिर उतार ले
 उनकी खाल।
पर कर न पाएंगे कभी
 ये जंगल बेजार!
चिड़ियों की चहचहाहट
 तैरेगी ही सदा फिजा में।
होगा मंगल जंगल में
 सिंह - शावकों का ,
मृगछौनों से।

रहेगा गुलजार गुलिस्तां
पत्र कलरव से,
द्रूम - लताओ के ।
भला कैसे रुकेगी?
 नदियों की नादानी!
 जमीन पर उछलकर
पहाड़ों से,
पसार देती पानी ।
बुझाने को प्यास
अरण्य प्राणियों की।
जिसमें धोते
 कटार का खून, बहेलिए!
तो भला क्यों न सूखे नदी
 प्यास बुझाकर
इन भक्षियों की!

भले ही भक्षियों का भक्षण रहे
जारी बदस्तूर।
धरती तो धरणी है।
धरती रहेगी,
धुकधुकियों में अपनी
और रह रह कर उगलती रहेगी,
ज्वालामुखी, आक्रोश का!
डोल-डोल कर
करती रहेगी प्रकम्पित
जज़्बातों को,
जन समुदाय के रूह की।
राजपथ काँपता रहेगा
सलामी मंच के सामने,
सेना की टुकड़ी के
नुमायशी कदम ताल से!





16 comments:

  1. लाजवाब। गणतंत्र दिवस शुभ होवे।

    ReplyDelete
  2. जन समुदाय के रूह की।
    राजपथ काँपता रहेगा
    सलामी मंच के सामने,
    सेना की टुकड़ी के
    नुमायशी कदम ताल से!

    कुछ लोग निहित स्वार्थ में निश्चित ही राष्ट्र को क्षति पहुँचा रहे हैं, जिससे अमर शहीदों की आत्मा को एवं बापू की कल्पना को ठेस पहुँच रही है, फिर भी
    हम है हिन्दुस्तानी...
    जब तक यह जज्बा है हममें , तब तक उम्मीद कायम है।
    नौटंकी करने वालों के विरुद्ध जिस दिन युवाशक्ति शंखनाद करेगी , वह एकजुट और सही मार्ग पर होगी , पुनः एक क्रांति अवश्य आएगी , इस ज्वालामुखी से राजपथ भी कंपायमान होगा..
    जय हिन्द
    जनतंत्र को जागृत करते हुये
    देश के रहनुमाओं को चेतावनी देता सृजन।

    ReplyDelete
  3. दिल और दिमाग पर छा गयी ये । । बहुत नमन । । ।

    ReplyDelete
  4. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 26 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  5. सुन्दर रचना।
    आप और आपके परिवार को 71 वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ।🇮🇳🇮🇳🇮🇳
    जयहिंद.

    ReplyDelete
    Replies
    1. अत्यंत आभार। आपको गणतंत्र दिवस की सपरिवार शुभकामनायें!!

      Delete
  6. जन-मन की चित्कार ...

    ReplyDelete
  7. जो देश सेना को केवल भव्य प्रदर्शन के लिए विस्तार देता है उस देश के पक्षियों या चिड़ियों को खुद हथियार बन जाना होता है।
    बड़ा गम्भीर विषय है कि सुरक्षा बल होते हुए भी सुरक्षित नहीं हैं
    कमाल व अद्भुत रचना।

    ReplyDelete