भारत में कोरोना के टीके पर मचा अनावश्यक विवाद भारत के समाज शास्त्र के एक महत्वपूर्ण तथ्य की ओर संकेत तो कहीं नहीं करता है! ऐसा नहीं है कि इससे पहले कभी टीके नहीं लगे? पहले से अधिकांश टीके छोटे बच्चों और महिलाओं को ही लगते आ रहे हैं। किन्तु, अबकी बार यह वयस्क मर्दों को भी लगने वाला है। इसीलिए तो अबतक महिलाओ और बच्चों के टीके पर चुप रहने वाला 'मर्द' समाज अबकी बार अत्यंत संवेदनशील हो गया है। क्या कहेंगे इसे- 'मर्दों की संवेदनशीलता' या 'संवेदन-शीलता की नामर्दी'!
सही कहा
ReplyDeleteजी, आभार!!
Deleteबिल्कुल सही उद्गार ! सारगर्भित प्रश्न !
ReplyDeleteजी, आभार।
Deleteसटीक
ReplyDeleteजी, आभार।
Deleteमहत्व पूर्ण बात की ओर ध्यान दिलाया आपने. शोध बताते हैं पुरुष कम सहनशील और कमजोर होते हैं ये बात सिद्ध भी हो गई !!
ReplyDeleteहा हा। शोधकर्ता पुरुष हैं या महिला!🙏
Deleteसंवेदनशीलता की नामर्दी!!!!
ReplyDeleteओह!!
अब कमजोर और कम सहनशीलता वह भी स्त्रियों से....
ये तो ललकार है पुरुषत्व को ।
ऐसे भी संवेदना, करुणा, ममता ये सब नारीत्व के ही प्रतीक हैं जो शिव के अर्द्धनारीश्वर स्वरूप में झलकता है। अत्यंत आभार।
Deleteआपको पढ़ना अच्छा लगा ।
ReplyDeleteआपका आशीष प्रेरणा देता है🙏
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