नया नियम-क़ानून आ गया। कोरोना का दोनों टीका नहीं लगाये तो, सरकारी कार्यालयों और परिसरों में चल रहे निर्माण स्थलों पर जाने की अनुमति नहीं! कुछ ही दिनों पहले की तो बात है। पहिला टीका लगवा के लौटे थे उसकी झुग्गी के संगी साथी।कोई उड़ीसा से, कोई बंगाल से, कोई कन्नौज से, कोई छत्तीसगढ़ से .......! अब तो दूसरे टीके के भरोसे बैठने के अलावा कोई चारा भी नहीं रहा ।
भला हो उसके राज्य के बाबुओं का! पहले टीके के बाद ही दोनों टीकों का प्रमाण पत्र उसके नाम निर्गत कर दिया था। सुशासन का आँकड़ा जो ठीक करना था!
अब बेवक़ूफ़ वह किसे कहे? अपने पेट पर आज लात पड़ने से बचाने वाली उस बाबूशाही को! या, फिर मज़दूरों का होलसेल सप्लाई करने वाले उसके राज्य को पिछड़ा कहने वाले बुद्धिवीरों को! बेवक़ूफ़ कौन! उसने गमछे से अपने माथे का पसीना पोंछा और अपने काम में लग गया।
तेज परताप के चेहरे पर मुस्कान थी।