tag:blogger.com,1999:blog-38106587470974878.post1199401899079406865..comments2024-03-07T20:49:24.150+05:30Comments on गलथेथरई: कोरोना और भारत का समाजशास्त्र – ८ (Corona and the Sociology of India - 8)विश्वमोहनhttp://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-38106587470974878.post-56983578399730976012021-01-16T19:58:42.199+05:302021-01-16T19:58:42.199+05:30जी, अत्यंत आभार आपकी प्रेरक टिप्पणी और उत्साह वर्द...जी, अत्यंत आभार आपकी प्रेरक टिप्पणी और उत्साह वर्द्धन का।विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38106587470974878.post-63706191553260019012021-01-16T01:44:15.777+05:302021-01-16T01:44:15.777+05:30बहुत ही बेहतरीन उत्कृष्ट सारगर्भित अभिव्यक्ति लाॅक...बहुत ही बेहतरीन उत्कृष्ट सारगर्भित अभिव्यक्ति लाॅकडाउन और कोरेन्टाइन की महिमा को बताता आपका लेख काबिले-तारीफ है, कोरोना महामारी थी, या बनायी गयी, इसपर भी आपकी दृष्टि पहुंची है| बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ आ• विश्वमोहन जी Best Health Tipshttps://www.blogger.com/profile/02962327286259185136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38106587470974878.post-77910309258606584682020-04-22T14:20:18.953+05:302020-04-22T14:20:18.953+05:30आपकी अध्ययनशीलता को नमन। अत्यंत आभार।आपकी अध्ययनशीलता को नमन। अत्यंत आभार।विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38106587470974878.post-24834899766878125812020-04-22T10:52:32.342+05:302020-04-22T10:52:32.342+05:30वाह!!बहुत ही सुंदर व सामयिक ..आज पूरा पढकर ही दम ल...वाह!!बहुत ही सुंदर व सामयिक ..आज पूरा पढकर ही दम लेना है । <br />लोगों की भागती -दौडती जिंदगी पर विराम लगा दिया है इस महामारी नें ।जहाँ सुबह होते ही वाहनों की कतारें लगनी शुरू हो जाती थी ,एक कार में एक व्यक्ति ...। घरती माँ भी अब थोडा अच्छा महसूस कर रही होगी ..कितना बोझ सहती आखिर ...। <br /> अब तो डॉक्टर ,पुलिस और अन्य सेवभावी लोग ही ईश्वर स्वरूप हैं ..। कबीर जी ने़ कहा है न ..ना मंदिर में ना मस्जिद में ना काशी कैलाश में ....मोको कहाँ ढूँढे रे बंदे 🙏शुभा https://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38106587470974878.post-12417000590546030192020-04-20T15:25:18.412+05:302020-04-20T15:25:18.412+05:30जी, अत्यंत आभार आपके आशीष का!जी, अत्यंत आभार आपके आशीष का!विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38106587470974878.post-84533438947785777432020-04-20T12:38:22.195+05:302020-04-20T12:38:22.195+05:30" कल्याण की कामना ही धर्म है। जहाँ भी इस कामन..." कल्याण की कामना ही धर्म है। जहाँ भी इस कामना का अभाव है, बस अधर्म ही अधर्म है। धर्म के नाम पर बहुत तांडव हो चुका। अब इस क़यामत के काल में उसे धर्म का सीधा साक्षात्कार हो रहा है।" बिलकुल सही विश्लेषण ,सादर नमन आपको Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38106587470974878.post-40096380279670239062020-04-20T04:39:38.912+05:302020-04-20T04:39:38.912+05:30जी, आपकी समिक्षाएँ सर्वदा हमारे लेखन का आलम्ब रही ...जी, आपकी समिक्षाएँ सर्वदा हमारे लेखन का आलम्ब रही हैं। आपने बहुत सरल शब्दों में मेरी बातों का गाहन विस्तार दिया है। आपके उत्साह जनक शब्दों का हृदय से आभार। विश्वमोहनhttps://www.blogger.com/profile/14664590781372628913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38106587470974878.post-40225618104894494452020-04-20T00:47:59.249+05:302020-04-20T00:47:59.249+05:30आदरणीय विश्वमोहन जी . कोरोना संकट काल में धर्म - आ...आदरणीय विश्वमोहन जी . कोरोना संकट काल में धर्म - आध्यात्म पर सारगर्भित विचारों से युक्त आपके लेख को पढकर बहुत अच्छा लग रहा है | लोकबंदी के दौरान दुर्घटनाओं और . आत्महत्याओं में कमी के साथ प्रदूषण का घटता स्तर सुखद लग रहा है। भागतीदौड़ती जिन्दगी खुलकर साँस ले रही है | साथ में रोचक है -- सुबह -सुबह शोर प्रदुषण में अपना अतुलनीय योगदान देने वाले -- धर्म स्थानों पर मौज कूट रहे कथित धर्मावलम्बियों की जमात , ना जाने किसे मांद में जाकर छिप गयी है| --- होई हैं वहीँ जो राम रचि राखा पर -- उन्हें आज कतई विश्वास नहीं हो रहा | वे कोरोना से इतना भयाक्रांत हो गये हैं कि उनके दर्शन दुर्लभ हो गये हैं | जिन्हें ना किसी बीमार की चिंता , ना परीक्षा काल में छात्रों के भविष्य की चिंता थी | जो बस लाउड स्पीकर में भजनों के द्वारा- भीषण हाहाकार को ही धर्म की शक्ति मानते थे - आज मौन हैं | |कथित उपदेशक बाबा लोग तो अदृश्य से होगये हैं | उन्हें ये कैसा सदमा लगा - समझ नहीं आता | पर उस अनचाहे शोर से मुक्ति ने आमजन की नींद को बहुत मधुर बना दिया है तो एकाग्रता को बढ़ा दिया है | इस संकटकाल में गोस्वामी जी की मानव धर्म की महिमा बढ़ाती दूसरी उक्ति गली- गली . कूचे -कूचे चरितार्थ हो रही है | ---- परहित सरस धर्म नहीं भाई -- को निभाते चिकित्सक , और अन्य कोरोना योद्धा , मानवता और सद्भावना के शांति दूत बनकर आमजन की आँखों के तारे बने हुए हैं और दुनिया को समझा रहे हैं कि यही है सच्चा धर्म - | निस्वार्थ कर्म जो केवल और केवल मानवता को समर्पित है जिसमें त्याग भी है , सद्भावना भी है | हो सकता है कोरोना की महामारी लोगों को ये जरुर समझा दे कि सच्चे धर्म की परिभाषा क्या है | लोक बंदी में उनकी चिंतन शक्ति को विस्तार मिल रहा है | स्वहित और जनहित में ये एकांतवास एक समाधि सरीखा है |आपके व्यापक चितन से उपजे लेख भी इसी का प्रतीक हैं | एक और सार्थक लेख के लिए साधुवाद | हाँ पशुओं की व्यथा कथा मन को उद्वेलित करती है । सादर🙏🙏रेणुhttps://www.blogger.com/profile/06997620258324629635noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38106587470974878.post-83045839081379527542020-04-18T12:26:16.141+05:302020-04-18T12:26:16.141+05:30"कल्याण की कामना ही धर्म है" अगर ये बात ..."कल्याण की कामना ही धर्म है" अगर ये बात कुछ धर्माँधों के भी घुस जाये तो कुछ बात बने। बढ़िया जा रहे हैं।सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.com